नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (B)
नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019
15 अगस्त 1947
15
अगस्त 1947 को भारत का विभाजन हुआ। India Independence Act
1947 के तहत भारत और पाकिस्तान की भौगोलिक सीमाएं तय हुई। इस विभाजन के कारण लाखों की संख्या में लोग प्रव्रजन प्रक्रिया का हिस्सा बने।
इन परिस्थितियों
को देखते हुए प्रव्रजन पर अंकुश के उद्देश्य से Influx from West Pakistan
(Control) Ordinance 1948 दिनांक
19 जुलाई 1948 को लागू किया गया। यह Ordinance गवर्नर जनरल ने Government of India Act 1935 की धारा 42 की शक्तियों
के तहत लागू किया। इसके बाद Influx from Pakistan
(Control) Ordinance 1948 दिनांक 10 नवम्बर 1948 को
लागू किया गया। यह Ordinance ईस्ट और वेस्ट पाकिस्तान से आ रहे लोगों पर लागू किया गया। इसके बाद 22 अप्रेल 1949 को
Influx from Pakistan (Control) Act 1949 लागू किया गया। जिसके तहत पूर्व में जारी Ordinance को निरसित किया गया। इसी प्रकार प्रव्रजन को नियंत्रित एवं अंकुश करने के लिए परमिट नियम 1948 एवं 1949 लागू किए गए थे।
संविधान सभा में नागरिकता
11 अगस्त 1949 को संवधिन सभा में डॉ. पी.एस. देशमुख ने संविधान प्रारूप के अनुच्छेद 5 में निम्न संशोधन प्रस्तुत किए थे :-
‘(i). Every person
residing in India—
(a) who is born of Indian parents; or
(b) who is naturalized under the law of
naturalization; and
(ii). every person
who is a Hindu or a Sikh by religion and is not a citizen of any other State,
wherever he resides shall be entitled to be a citizen of India.’ ”
1. भारत में निवास करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को
क. जिसका जन्म भारतीय जनकों द्वारा हुआ है अथवा
ख. जिसको देशीयकरण विधि के अधीन देशी बना लिया है और
2. जो हिन्दू या सिख धर्म का अनुयायी है और जो किसी अन्य राज्य का नागरिक नहीं है, चाहे वह कहीं निवास करे भारत का नागरिक होने का हक होगा।
26 नवम्बर 1949
हम भारत के लोगों द्वारा संविधान को 26 नवम्बर 1949 को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्समर्पित किया गया। संविधान के भाग 2 में नागरिकता के प्रावधान वर्णित है। अनुच्छेद 05 से 09 को तुरन्त प्रभाव से 26 नवम्बर 1949 से लागू किया गया।
26 जनवरी 1950
26 जनवरी 1950 से नागरिकता के सभी प्रावधान, जो कि भाग 2 में वर्णित है, को लागू किया गया।
निम्नलिखित व्यक्ति संविधान के प्रारंभ पर भारत के नागरिक बन गए -
1. वह व्यक्ति जो भारत में अधिवसित था और जिसका जन्म भारत के राज्यक्षेत्र में हुआ था। वह तात्त्विक नहीं है कि उसके माता-पिता भारत के राष्ट्रिक रहे हों। अनु.5(क)
2. वह व्यक्ति जिसका भारत के राज्यक्षेत्र में अधिवास था और जिसके माता पिता में से कोई भारत के राज्यक्षेत्र में जन्मा था। यदि ये दो शर्तें पूरी हो जाती हैं तो यह तात्त्विक नहीं है कि माता या पिता भारत के राष्ट्रिक थे या नहीं। ऐसे व्यक्ति का जन्मस्थान कहीं भी हो सकता है। अनु.5(ख)
3. वह व्यक्ति जिसका भारत के राज्यक्षेत्र में अधिवास है और जो भारत के संविधान के प्रारंभ के ठीक पहले कम से कम पांच वर्षों तक भारत में मामूली तौर से निवास कर रहा था। इस दशा में भी माता पिता की राष्ट्रिकता तात्त्विक नहीं है।
इसी प्रकार संविधान के अनुच्छेद 6 में पाकिस्तान से भारत को प्रव्रजन करने वाले कुछ व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकार, अनुच्छेद 7 में पाकिस्तान को प्रव्रजन करने वाले कुछ व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकार एवं अनुच्छेद 8 में भारत के बाहर रहने वाले भारतीय उद्भव के कुछ व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकार वर्णित है।
NEHRU-LIAQUAT AGREEMENT 8 April 1950
AGREEMENT BETWEEN THE GOVERNMENTS OF INDIA AND
PAKISTAN REGARDING SECURITY AND RIGHTS OF MINORITIES
A. The Governments of India
and Pakistan solemnly agree that each shall ensure, to the minorities
throughout its territory, complete equality of citizenship, irrespective of
religion, a full sense of security in respect of life, culture, property and
personal honour, freedom of movement within each country and freedom of
occupation, speech and worship, subject to law and morality. Members of the
minorities shall have equal opportunity with members of the majority community
to participate in the public life of their country, to hold political or other
office, and to serve in their country's civil and armed forces.
Both Governments declare these
rights to be fundamental and undertake to enforce them effectively. The Prime
Minister of India has drawn attention to the fact that these rights are
guaranteed to all minorities in India by its Constitution. The Prime Minister
of Pakistan has pointed out that similar provision exists in the Objectives
Resolution adopted by the Constituent Assembly of Pakistan. It is the policy of
both Governments that the enjoyment of these democratic rights shall be assured
to all their nationals without distinction. Both Governments wish to emphasise
that the allegiance and loyalty of the minorities is to the State of which they
are citizens, and that it is to the Government of their own State that they
should look for the redress of their grievances.
नागरिकता अधिनियम, 1955
नागरिकता से संबंधित विधि अब नागरिकता अधिनियम, 1955 में अंतर्विष्ट है। संविधान के अनु. 11 द्वारा संसद को नागरिकता से संबंधित सभी विषयों पर विधान बनाने की शक्ति दी गई है।
नागरिकता अधिनियम में नागरिकता के अर्जन के लिए निम्नलिखित तरीके बताए गए है :
क. जन्म द्वारा
- प्रत्येक व्यक्ति जिसका भारत में 26 जनवरी 1950 को या उसके पश्चात् जन्म हुआ है जन्म से भारत का नागरिक है।
ख. उद्भव द्वारा - कोई व्यक्ति जो भारत के बाहर 26 जनवरी 1950 को या उसके पश्चात् जन्मा था उद्भव से भारत का नागरिक होगा यदि उसके माता या पिता में से कोई उसके जन्म के समय भारत का नागरिक था।
ग. रजिस्ट्रीकरण द्वारा - कोई व्यक्ति जो ऊपर (क) और (ख) में नहीं आता वह कुछ शर्तें पूरी करके नागरिकता अर्जित कर सकता है।
घ. देशीयकरण द्वारा - जब किसी विदेशी का देशीयकरण के लिए आवेदन भारत सरकार द्वारा मंजूर कर लिया जाता है तो वह भारत का नागरिक बन जाता है।
ड. राज्यक्षेत्र के सम्मिलित किए जाने पर - यदि कोई नया राज्यक्षेत्र भारत का भाग बन जाता है तो सरकार यह विनिर्दिष्ट करेगी कि उस राज्यक्षेत्र के कौन से व्यक्ति नागरिक हो जाएंगे। जब पांडिचेरी का भारत में विलय हुआ तो नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 7
के अधीन एक आदेश जारी किया गया (नागरिकता
(पांडिचेरी)
आदेश,
1962)
साल 2003 से 2014 के बीच पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार
पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यकों पर अत्याचारों का मामला कई बार सदन में उठाया जा चुका है।
1. साल
2005 में यूपीए सरकार में मंत्री विदेश राज्य मंत्री ई. अहमद ने ह्यूमन राइट्स कमीशन ऑफ़ पाकिस्तान की रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए कहा था कि पाकिस्ता न में हिन्दुओं के खिलाफ हिंसा हो रही है।
2. साल 2007 में विदेश राज्य मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने बताया कि पाकिस्तान से हिन्दू भारी संख्या में भारत आ रहे हैं। इसके लिए पूर्ववर्ती और तत्काली न सरकारों ने राहत भी प्रदान की थी ।
3. साल
2010 में लोकसभा में विदेश मंत्री एस. एम. कृष्णा ने बताया कि सरकार को पाकिस्तान में हिन्दु ओं के खिलाफ अत्या चारों की जानकारी है।
4. साल
2011 में भी वि देश राज्य मंत्री प्रणीत कौर ने सदन को भरोसा दिलाया कि सरकार हिन्दु ओं के उत्पीड़न ¼persecution½
पर चिंतित है।
5. साल 2014 में यूपीए सरकार ने आधिकारिक रूप से बताया कि 1,11,754 पाकिस्तानी नागरिक साल 2013 में वीजा लेकर भारत आये थे। हालांकि धर्म के आधार पर इनका वर्गी करण फ़िल हाल संभव नहीं है, लेकिन बड़ी संख्या में हिन्दू और सिख वीजा की अवधि ख़त्म होने पर भी भारत में रह रहे हैं।
6. ऐसे प्रवासियों के लिए एक लम्बी अवधि का वीजा देने का प्रावधान अस्तित्व में था, जिसे सरकार ने लागू करने के आदेश भी जारी कर दिए थे। केंद्रीय गृह मंत्री (राज्य) एम. रामचंद्रन ने लोकसभा में 18 फरवरी, 2014 को बताया कि लम्बी अवधि का वीजा देने का नियम पाकिस्तानी हिन्दू अथवा अल्पसंख्यकों लिए बनाया गया है। अगर वे अपने को अपने को शरणार्थी घोषित करते हैं, तो उन्हें भारत में रहने की सुविधा प्रदान की जाएगी। इसके लिए 29 दिसंबर, 2011 में नियम बनाये गए और 7 मार्च,
2012 को सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को अधिसूचना जारी कर दी गयी थी ।
7. ऐसा ही बांग्लादेश में हिन्दुओं के उत्पीड़न की जानकारी भी सरकारों की जानकारी में थी। साल 2003 में विदेश राज्य मंत्री विनोद खन्ना ने बताया कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हिंसा और अत्याचार की खबरें समय-समय पर मिलती रहती हैं।
8. यूपीए कार्य काल में भी विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने बताया कि सरकार को बांग्लादेश में हिन्दुओं की समस्याओं की जानकारी है। संसदीय कार्य मंत्री राजीव शुक्ला ने भी साल 2013 में यह दोहराया।
9. असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को 20 अप्रैल
, 2012 को एक मेमोरंडम दिया था। उन्होंने बांग्लादेश में र्धामिक आधार पर उत्पीड़ितों को भारतीय बताते हुए कहा कि उन्हें भारत सरकार विदेशियों की तरह बर्ताव न करे।
10. साल
2004 से लेकर 2014 तक यूपीए सरकार आधिकारिक रूप से मानती थी कि पाकिस्तान, बांग्लादेश में हिन्दु ओं के खिलाफ अत्याचार हो रहे हैं, मगर इस सम्बन्ध में कभी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
11. साल
2014 के बाद एनडीए सरकार में भी ऐसे मामले सामने आने लगे। इसलिए सरकार ने इन विस्थापितों की सुरक्षा के लिए एक स्थाई निर्णय लेने का प्रस्ताव रखा था।
समय समय पर नागरिकता अधिनियम 1955 में 1985, 1992, 2003 एवं 2005 में संशोधन किए गए।
नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019
1. नागरिकता (संशोधन) विधेयक,
2019 को राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने 12 दिसंबर को मंजूरी दे दी। इसके साथ ही अब यह अधिनियम बन चुका है। इस विधेयक को लोक सभा ने 9 दिसंबर और राज्य सभा ने 11 दिसंबर को अपनी मंजूरी दे दी थी। यह अधिनियम इतिहास के पन्नों पर स्वर्णाक्षरों से लिखा जायेगा तथा यह धार्मिक प्रताड़ना के पीड़ित शरणार्थियों को स्थायी राहत देगा।
2. नागरिकता
(संशोधन)
अधिनियम,
2019 में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध,
जैन,
पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिक बनाने का प्रावधान है।
3. इसके उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि ऐसे शरणार्थियों को जिन्होंने
31 दिसंबर
2014 की निर्णायक तारीख तक भारत में प्रवेश कर लिया है, उन्हें अपनी नागरिकता संबंधी विषयों के लिए एक विशेष विधायी व्यवस्था की जरूरत है। अधिनियम में हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के प्रवासियों को भारतीय नागरिकता के लिये आवेदन करने से वंचित न करने की बात कही गई है।
4. इसमें कहा गया है कि यदि कोई ऐसा व्यक्ति नागरिकता प्रदान करने की सभी शर्तों को पूरा करता है, तब अधिनियम के अधीन निर्धारित किये जाने वाला सक्षम प्राधिकारी, अधिनियम की धारा 5 या धारा 6 के अधीन ऐसे व्यक्तियों के आवेदन पर विचार करते समय उनके विरुद्ध ’अवैध प्रवासी’ के रूप में उनकी परिस्थिति या उनकी नागरिकता संबंधी विषय पर विचार नहीं करेगा।
5. नागरिकता
(संशोधन)
अधिनियम,
2019 बनने से पहले भारतीय मूल के बहुत से व्यक्ति जिनमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश, पाकिस्तान के उक्त अल्पसंख्यक समुदायों के व्यक्ति भी शामिल हैं, वे नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 5 के अधीन नागरिकता के लिए आवेदन करते थे। किंतु यदि वे अपने भारतीय मूल का सबूत देने में असमर्थ थे, तो उन्हें उक्त अधिनियम की धारा 6 के तहत ’’प्राकृति करण’’¼Naturalization½ द्वारा नागरिकता के लिये आवेदन करने को कहा जाता था। यह उनको बहुत से अवसरों एवं लाभों से वंचित करता था।
6. इसलिए नागरिकता अधिनियम 1955 की तीसरी अनुसूची का संशोधन कर इन देशों के उक्त समुदायों के आवेदकों को ’’प्राकृतिकरण ’’ ¼Naturalization½ द्वारा नागरिकता के लिये पात्र बनाया गया है। इसके लिए ऐसे लोगों मौजूदा 11 वर्ष के स्थान पर पांच वर्षों के लिए अपनी निवास की अवधि को प्रमाणित करना होगा।
7. नागरिकता
(संशोधन)
अधिनियम,
2019 में वर्तमान में भारत के कार्डधारक विदेशी नागरिक के कार्ड को रद्द करने से पूर्व उन्हें सुनवाई का अवसर प्रदान करने का प्रावधान है।
8. उल्लेखनीय है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 में संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत आने वाले पूर्वोत्तर राज्यों-असाम, मेघालय, मिजोरम, और त्रिपुरा की स्थानीय आबादी को प्रदान की गई संवैधानिक गारंटी की संरक्षा और बंगाल पूर्वी सीमांत विनियम 1973 की ’’आंतरिक रेखा प्रणाली’’ के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों को प्रदान कि ये गए कानूनी संरक्षण को बरकरार रखा गया है।
जी.एस. गिल (पूर्व महाधिवक्ता राजस्थान
उच्च न्यायालय, जयपुर)
एस.पी. सिंह
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